Posted on:
नई दिल्ली, 21 जनवरी । मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) शेयरों की स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग के पहले भी ट्रेडिंग करने के लिए एक फॉर्मल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की बात पर विचार कर रहा है।
अगर इस तरह के किसी प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया जाता है, तो निवेशक ग्रे मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग की जगह सेबी द्वारा अधिकृत प्लेटफॉर्म पर प्री लिस्टिंग ट्रेडिंग कर सकेंगे। इससे निवेशकों के साथ ग्रे मार्केट में कई बार होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं पर भी अंकुश लग सकेगा। सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने आज एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस भावी योजना की जानकारी दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेबी की चेयरपर्सन ने ग्रे मार्केट ट्रेडिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि शेयरों के अलॉटमेंट से लेकर शेयरों की लिस्टिंग होने तक लगभग तीन दिन की अवधि में काफी बड़े स्तर पर अनौपचारिक ट्रेडिंग की जाती है।
इसलिए अगर निवेशक लिस्टिंग के पहले ही ट्रेडिंग करना चाहते हैं, तो उन्हें मार्केट रेगुलेटर द्वारा रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर इस तरह की ट्रेडिंग करने का मौका मिलना चाहिए। माधवी पुरी बुच का कहना था कि शेयरों के अलॉटमेंट के बाद लिस्टिंग होने तक निवेशक औपचारिक रूप से ट्रेडिंग नहीं कर पता है
, लेकिन शेयरों के अलॉटमेंट के साथ ही निवेशक के पास उन शेयरों का स्वामित्व आ जाता है। ऐसे में अभी निवेशक लिस्टिंग के पहले ट्रेडिंग करने के लिए ग्रे मार्केट की मदद लेते हैं, लेकिन अगर सेबी की ओर से एक रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म शुरू कर दिया जाए, तो निवेशक शेयरों का अलॉटमेंट होने के तुरंत बाद से ही औपचारिक ट्रेडिंग कर सकते हैं।
अभी तक की व्यवस्था में आईपीओ क्लोज होने के बाद निवेदक के डी-मैट अकाउंट में शेयरों का अलॉटमेंट कर दिया जाता है। लिस्टिंग होने तक ये शेयर डी-मैट अकाउंट में फ्रीज रहते हैं। यानी इन शेयरों की लिस्टिंग होने तक ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है।
शेयरों को फ्रिज रखने का उद्देश्य अनलिस्टेड शेयरों की अनऑर्गनाइज्ड प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग को रोकना होता है, ताकि निवेशकों के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी न हो जाए। इसके बावजूद ग्रे मार्केट में अनलिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग काफी लंबे समय से हो रही है, जिसमें कई बार निवेशकों के साथ धोखाधड़ी भी हो जाती है।
ग्रे मार्केट पूरी तरह से अनरेगुलेटेड मार्केट है। इसलिए इसमें होने वाली ट्रेडिंग की वजह से किसी भी तरह के नुकसान के लिए स्टॉक मार्केट या मार्केट रेगुलेटर सेबी जिम्मेदार नहीं होता है। हालांकि ग्रे मार्केट में होने वाली ट्रेडिंग को आमतौर पर किसी भी शेयर की लिस्टिंग का इंडिकेटर माना जाता है।
अगर ग्रे मार्केट में शेयर को अच्छा प्रीमियम मिलता है, तो लिस्टिंग के समय उस शेयर का मूल्य भी उसी हिसाब चढ़ने का अनुमान लगाया जाता है। वहीं ग्रे मार्केट में अगर किसी शेयर को फीका रिस्पॉन्स मिलता है, तो माना जाता है कि लिस्टिंग के समय भी निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने लिस्टिंग के पहले ट्रेडिंग करने के लिए प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की योजना का खुलासा ऐसे समय पर किया है, जब प्राइमरी मार्केट में जम कर आईपीओ लॉन्चिंग हो रही है। साल 2024 में आईपीओ लॉन्चिंग के मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पूरे एशिया में सबसे आगे रहा है। माना जा रहा है कि 2025 के दौरान भी बड़े पैमाने पर आईपीओ की लॉन्चिंग हो सकती है।
फिलहाल सेबी के पास 1.80 लाख करोड़ रुपये से अधिक के आईपीओ प्रपोजल मंजूरी के लिए पड़े हुए हैं। आने वाले दिनों में आईपीओ प्रपोजल्स की संख्या और बढ़ेगी। इस तरह 2025 भी आईपीओ लॉन्चिंग के मामले में नया रिकार्ड बनाने वाला साल हो साबित हो सकता है। इसीलिए अगर सेबी लिस्टिंग के पहले ट्रेडिंग करने के लिए फॉर्मल प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने की दिशा में आगे बढ़ता है, तो इससे निवेशकों के पैसों को काफी हद तक सुरक्षित किया जा सकेगा