विलियम गिल्बर्ट ने किया था पहले कृत्रिम चुंबक का आविष्कार

Posted on: 2023-01-13


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एक चुंबक के बारे में तो हम सभी जानते है की क्या होती है यह एक एक चुंबक एक सामग्री या वस्तु है जो किसी चुंबकीय वस्तु या  लोहे जैसे धातु को अपनी और खींचती हैऔर आकर्षित करती है चुंबक की पट्टी जब स्वतंत्रतापूर्वक लटकायी जाती है तो इसके सिरे हमेशा उत्तर -दक्षिण दिशा में ठहर जाते हैं इस गुण के कारण लोड स्टोन भी कहा गया .

सबसे लोकप्रिय चुंबक की खोज Magnet नामक एक बुजुर्ग चरवाहा ने की थी वो करीब  4,000 साल पहले उत्तरी ग्रीस के एक क्षेत्र में अपनी भेड़ों को चरा रहा था तो उसे एक चुंबक जैसा पत्थर का टुकड़ा दिखा क्योकि वह जब भी भेड़ों को चराने जाता तो ऐसे जूते पहन के जाते जिनके निचे लोहे की परत थी तो एक दिन उसके जूते के कुछ पत्थर के टुकड़े चिपक गये तो उसने देखा की ये कैसे टुकड़े है .

तो और वह कुछ खोदा गया तो  मैग्नेटाइटएक प्राकृतिक चुंबकीय सामग्री मिली इसकी खोज के बाद कई सालों के लिएमैग्नेटाइट अंधविश्वास में घिरा हुआ था और इस तरहबीमारों को चंगा बुरी आत्माओं को दूर डराने और आकर्षित करने और लोहे के बने जहाजों को भंग करने की क्षमता के रूप में जादुई शक्तियों रूप में माना जाता था फिर धीरे धीरे इसके उपर रिसर्च की गयी और फिर लोगो को पता चला की यह कैसे काम करती है और क्या चीज है वास्तव में ये इंग्लैण्ड के विलियम गिलबर्ट चुंबक के गुणों का अध्ययन करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने लगभग 17 वर्षों तक चुंबक के गुणों का अध्ययन किया

चुंबक द्वारा आकर्षित नहीं होते हैंउन्हें अचुंबकीय पदार्थ कहते हैं। जैसे लकड़ीकागजरबड़पत्थरकांचसोनाचांदीएल्युमिनियम आदि। इन पदार्थों से कृत्रिम चुंबक नहीं बनाया जा सकता।जो पदार्थ चुंबक द्वारा आकर्षित किए जाते हैंउन्हें चुंबकीय पदार्थ कहते हैं। जैसे लोहानिकेलकोबाल्ट आदि जो पदार्थ  इन पदार्थों से कृत्रिम चुंबक बनाया जा सकता है चुंबक के विपरीत ध्रुव एक दूसरे को हमेशा आकर्षित करते हैंजबकि समान ध्रुव हमेशा एक दूसरे को प्रतिकर्षित यानी दूर भगाते हैं। अर्थात उत्तर-दक्षिण एक दूसरे को आकर्षित करेंगेजबकि उत्तर-उत्तर और दक्षिण-दक्षिण एक दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे।

1600-विलियम गिल्बर्ट और पहला कृत्रिम (Artificial) चुंबक-पहले कृत्रिम चुंबक का आविष्कार ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम गिल्बर्ट (1544-1603) ने 1600 में किया था। इतना ही नहीं उन्होने यह भी साबित किया कि पृथ्वी अपने आप में एक बड़ा चुंबक है। विलियम गिल्बर्ट ने यह भी पाया कि लोहे में बदलाव कर के उसे चुंबक बनाया जा सकता है। डी मैगनेट” (1600) नामक अपनी पुस्तक में विलियम गिल्बर्ट ने स्टील से कृत्रिम रूप से मैग्नेट बनाने के तरीके का उल्लेख किया है। गिल्बर्ट को पहली बार एहसास हुआ कि पृथ्वी एक विशाल चुंबक था

1820 Hans Christian Oersted और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज़्म की खोज-हंस क्रिश्चियन ओर्स्टेड ने बिजली और चुंबकत्व के बीच सम्बन्धों की खोज की और इलेक्ट्रोमैग्नेटिज़्म के बारे में पता लगाया। उन्होने 1820 में एक प्रदर्शन के द्वारा यह सिद्ध किया कि यदि किसी चुंबक के कम्पास को बिजली के तार के पास रख दिया जायेतो उस चुंबक के कम्पास की सुई बिजली की चुम्बकीय शक्ति से प्रभावित होकर सही दिशा नहीं दिखा पाती है। इस प्रकार Electricity और Magnetism के बीच के संबंध का पता चला।

चुंबक का उपयोग-

चुंबक और उसके गुणों की खोज ने हमारे जीवन में कई क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। चुंबक का उपयोग आज टीवीकम्प्युटरसमुद्री परिवहन, Magnetic Resonance Imaging मशीनोंक्रेडिट और डेबिट कार्डस्पीकर और माइक्रोफोनक्रेनोंइलेक्ट्रिक मोटर्स और जनरेटर इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण दैनिक उपयोग की चीजों में होता है। चुम्बकों का प्रयोग अब मैग्लेव ट्रेनों को चलाने में भी होता है। शिक्षा और अनुसंधान में भी चुंबक का बहुत प्रयोग और अध्ययन हो रहा है।

स्थायी चुम्बक

जो चुंबक अपने चुंबकीय गुणों को नहीं खोता हैउसे स्थायी चुंबक कहते हैं ये हार्ड चुम्बकीय पदार्थ से बनाये जाते हैंऔर ये और सामान्य परिस्थितियों में बिना किसी कमी के बना रहता है और सामान्य परिस्थितियों में बिना किसी कमी के बना रहता है

अस्थायी चुम्बक

इसके विपरीत जो चुंबक अपने चुंबकीय गुणों को खो देता हैउसे अस्थायी चुंबक कहते हैं। जैसे: लोहास्टीलकोबाल्टनिकेल से बने चुंबक ये चुम्बक तभी चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जब इनके प्रयुक्त तारों से होकर विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। धारा के समाप्त करते ही इनका चुम्बकीय क्षेत्र लगभग शून्य हो जाता है। इसी लिये इन्हें विद्युतचुम्बक या  एलेक्ट्रोमैग्नेट् भी कहते हैं