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नई दिल्ली, 14 अप्रैल । कांग्रेस ने देश में सामान्य जनगणना के साथ ही जाति जनगणना कराने की मांग दोहराई है। इसके साथ ही राज्यों के आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी की है, ताकि 50 प्रतिशत की सीलिंग हटाकर राज्यों के आरक्षण को सुरक्षित किया जा सके।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि आज संविधान निर्माता डॉ आंबेडकर की जयंती है। आज के दिन मैं कांग्रेस की तरफ से पांच बातें कहना चाहता हूं। पहली यह कि देश में जाति जनगणना अत्यंत जरूरी है। अभी केंद्र सरकार 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर अपनी योजनाएं बना रही है। आगामी जनगणना का अभी तक पता नहीं है। खरगे ने मांग की कि सामान्य जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराना जरूरी है। उन्होंने तर्क दिया कि इतने वर्षों के बाद ये नहीं मालूम कि आज समाज के अलग-अलग वर्गों की वास्तविक हालत कैसी है। सामाजिक न्याय के पैमाने पर शिक्षा, नौकरी, मकान और जमीन का मालिकाना हक आदि पर उन्होंने कितनी तरक्की की है।
खरगे ने कहा कि दूसरी बात यह है 1976 में इंदिरा गांधी ने एससी-एसटी सब-प्लान लागू किया था ताकि इन समुदायों के साथ समुचित न्याय हो लेकिन 2015 में केंद्र सरकार ने इसे ख़त्म कर दिया। हालांकि कांग्रेसशासित कर्नाटक और तेलंगाना राज्य सरकारों ने सब-प्लान लागू करने का क़ानून बनाया है, इसलिए हम भाजपा सरकार से मांग करते हैं कि एस-एसटी सब-प्लान को केंद्र सरकार फिर से लागू करे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तीसरी बात यह है कि तमिलनाडु के सिवाय कोई राज्य नहीं है, जहां आरक्षण सुरक्षित है। हम मांग करते हैं कि राज्यों के आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए जिससे 50 प्रतिशत की सीलिंग हटाकर राज्यों के आरक्षण को सुरक्षित किया जा सके। चौथी बात यह कि 2006 में अनुच्छेद 15 (5) में संविधान संशोधन कर एससी, एसटी, ओबीसी को निजी कॉलेजों में आरक्षण दिलाने के लिए व्यवस्था की गई। यह कानून निजी, बिना सरकारी मदद वाले लेकिन गैर-अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण देने के लिए है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में सही ठहराया। आज 55 प्रतिशत उच्च शैक्षणिक संस्थान निजी हाथों में हैं। खरगे ने केंद्र सरकार से मांग की कि इसे क़ानूनी अधिकार बनाया जाए और इसे तत्काल लागू किया जाए। यह बाबासाहेब को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
खरगे ने कहा कि पांचवीं बात यह है कि दो साल पहले जब महिला आरक्षण पारित हुआ तब कांग्रेस की मांग थी यह अधिनियम फ़ौरन लागू हो और इसके साथ ही इसके अंदर एक तिहाई आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उपरोक्त पांच मांगों को लेकर संसद के अंदर और बाहर संघर्ष करेगी।