हनुमान जन्मोत्सव हिंदू सनातन परंपरा का एक अत्यंत पावन और श्रद्धापूर्ण पर्व है। यह दिन उन प्रभु को समर्पित होता है, जो केवल शक्ति और वीरता के प्रतीक ही नहीं, बल्कि अटूट भक्ति, अपार निष्ठा और सेवा भाव की जीवंत मूर्ति हैं — भगवान हनुमान।
धार्मिक मान्यता है कि वे चिरंजीवी हैं — अमर हैं — और आज भी पृथ्वी पर विद्यमान हैं। इसलिए उन्हें स्मरण करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का साक्षात्कार है।
अक्सर लोग भगवान हनुमान के इस पर्व को "हनुमान जयंती" कह देते हैं, लेकिन धर्मशास्त्रों के अनुसार यह "जन्मोत्सव" कहलाना चाहिए।
जयंती उन महान व्यक्तित्वों के लिए प्रयुक्त होती है जिन्होंने जन्म लेकर संसार को मार्ग दिखाया और फिर मृत्यु को प्राप्त हुए, जैसे महात्मा गांधी जयंती।जन्मोत्सव उन दिव्य शक्तियों के लिए मनाया जाता है जो अमर हैं, या आज भी किसी न किसी रूप में सृष्टि में सक्रिय हैं। श्रीराम की राम नवमी, श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी और हनुमान जन्मोत्सव इसी श्रेणी में आते हैं।
भगवान हनुमान, शिवजी के 11वें रुद्र अवतार माने जाते हैं और उन्हें चिरंजीवी बताया गया है, अतः उनका "जन्मोत्सव" मनाना ही धर्मसंगत है।
क्यों मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव?
हनुमान जी का जीवन शक्ति, साहस और भक्ति का संगम है। उनकी श्रीराम के प्रति अटूट निष्ठा यह सिखाती है कि सच्चे समर्पण से असंभव भी संभव हो सकता है।
वे अद्वितीय योद्धा होते हुए भी विनम्र, सेवाभावी और परोपकारी हैं। वे जीवन के हर संकट में खड़े रहने की प्रेरणा देते हैं — यही कारण है कि उन्हें संकटमोचन कहा जाता है।
हनुमान जन्मोत्सव आत्मबल, आस्था और भक्ति की शक्ति का अनुभव कराने वाला पर्व है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और पूजा-अर्चना कर अपने जीवन में शक्ति, बुद्धि और निर्भयता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
भगवान हनुमान के 12 पावन नाम
हनुमान जी के ये 12 नाम, श्रद्धा से उच्चारित करने पर संकटों को हरने वाले माने जाते हैं:
हनुमान – बल, भक्ति और समर्पण के प्रतीक
वायुपुत्र – पवनदेव के दिव्य पुत्र
महाबल – अद्वितीय शक्ति के स्वामी
रामेष्ट – प्रभु श्रीराम के परम प्रिय
अंजनीसुत – माता अंजना के तेजस्वी पुत्र
उदधिक्रमण – समुद्र लांघने वाले वीर
सीताशोकविनाशन – माता सीता के दुःख का अंत करने वाले
लक्ष्मणप्राणदाता – लक्ष्मण को संजीवनी देकर जीवन देने वाले
दशग्रीवदर्पहा – रावण के अभिमान को चूर्ण करने वाले
फाल्गुनसखा – अर्जुन जैसे वीर के मित्र
पिंगाक्ष – सुनहरी चमकती आंखों वाले
अमितविक्रम – अपराजेय पराक्रम के धनी