आयुर्वेद में गुड़हल के फूल को एक बहुत ही उत्तम औषधि बताया गया है। पतंजलि के अनुसार, गंजेपन की समस्या, बालों को बढ़ाने में अड़हुल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं कई गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए अड़हुल का उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं।
गुड़हल क्या है ?
गुड़हल के फूलघंटाकार होते हैं। इसे बाग-बगीचे, घर और मंदिरों में लगाया जाता है। गुड़हल का फूल इकहरा, दोहरा, तिहरा, लाल, सफेद या सफेद लाल, बैंगनी, पीला, नारंगी इत्यादि कई रंगों का होता है। इसकी केसर बाहर निकली हुई होती है। सफेद, और सफेद तथा लाल रंग वाला गुड़हल फूल विशेष गुणकारी होता है।
बालों को बढ़ाने में गुड़हल के फायदे
गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इसे बालों में लगाएं। दो घंटे बाद बालों को धोकर साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने से बालों को पोषण मिलता है, और सिर भी ठंडा रहता है।
गुड़हल के ताजे फूलों के रस में बराबर मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तो शीशी में भरकर रख लें। रोजाना बालों में मल कर जड़ों तक लगाने से बाल चमकीले और लम्बे होते हैं।
रूसी (डैंड्रफ) की समस्या में गुड़हल के फायदे
आप रूसी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए भी गुड़हल के फायदे ले सकते हैं। गुड़हल के फूल के रस में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिला लें। इसे उबालें। तेल बाकी रहने पर उतारकर छान लें। इसे शीशी में भर लें। इस तेल को लगाने से रूसी (डैंड्रफ) खत्म हो जाता है।
गंजेपन की समस्या में गुड़हल के फायदे
गाय के मूत्र में गुड़हल के फूलों को पीसकर सिर में लगाने से बाल बढ़ते हैं। इससे गंजापन दूर होता है।
याददाश्त बढ़ाने के लिए गुड़हल का उपयोग
गुड़हल के फूलों और पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर सुखाएं। इसे पीसकर पाउडर बना लें और शीशी में भर लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पिएं। इसे आपको एक कप मीठे दूध के साथ पीना है। इससे याददाश्त (स्मरण-शक्ति) बढ़ती है।
एनीमिया (खून की कमी) रोग में गुड़हल से लाभ
एक चम्मच गुड़हल के फूल के चूर्ण को एक कप दूध के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करें। इससे कुछ ही माह में खून की कमी दूर होती है। शरीर में शक्ति मिलती है।
गुड़हल की जड़ और फूलों का काढ़ा बना लें। इसे 20-40 मिली की मात्रा में सुबह पीने से गर्भ में पल रहे शिशु का शरीर स्वस्थ रहता है।
गर्भधारण रोकने के लिए गुड़हल का गुण लाभदायक
अड़हुल के फूलों के कांजी में पीस लें। इसमें 50 ग्राम तक पुराना गुड़ मिला लें। मासिक धर्म के समय तीन दिन तक खाने से स्त्री गर्भधारण नहीं करती। इसका सेवन चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही करें।