शिक्षाप्रद कहानी:- बादशाह का न्याय

Posted on: 2024-12-07


hamabani image

इजरायल के इतिहास में बादशाह सुलेमान  का नाम बड़ा प्रसिद्ध है | वह बड़ा न्यायी और उदार माना जाता था | उसके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी | एक दिन सुलेमान अपने न्याय सिंहासन पर विराजमान था कि दो महिलाएं आ पहुंची | उनमें से एक बहुत उदास थी और उसके नेत्रों से अश्रु बह रहे थे | दूसरी बड़ी निर्मम और दुराग्रही थी| उसकी गोद से एक छोटा सा नवजात शिशु रो रहा था | राजसभा के सभी सदस्य उन दोनों को देखकर विस्मत थे | राजा के आदेश से राजकर्मचारियों ने उनसे पूछा “कहो तुम लोगों को क्या कहना हैं ?”

यह सुनकर पहली स्त्री, जो उदास थी बोली-“सरकार! इस महिला ने मेरा बच्चा मुझसे छीन लिया है, मैं सच कह रही हूँ | कल रात में सोते हुए इसने करवट ली और इसके बगल में पड़ा इसका शिशु इसके बोझ से दबकर मर गया | इसने मृत शिशु को धोखे से मेरे पलंग पर रख दिया और यह मेरा बच्चा उठाकर ले गयी|”

“नहीं सरकार! यह झूठ बोल रही है, यह मेरा बच्चा हथियाना चाह रही है | मैं अपने प्राण प्यारे लाल को इसको नहीं दे सकती, यह मेरा बच्चा है |” दूसरी उत्तर में कहा |

सुलेमान ने न्याय करते हुए कहा-“तुम दोनों ही अपने-अपने भाव के अनुरूप ठीक कहती हो | मैं यह नहीं जनता कि तुम दोनों में से कौन इसकी असली माँ है, पर न्याय कोमल और कठोर दोनों प्रकार का होता है | इस बच्चे का अधिकार तुम दोनों को है | ऐसी स्थिति में इसके दो टुकड़े कर दिये जाएँ और एक-एक टुकड़ा तुम दोनों को दे दिया जाये |”

दूसरी महिला, जिसकी गोद में बच्चा छटपटा रहा था, अपने स्थान पर अडिग सी कड़ी थी, सुलेमान का न्याय सुनकर उसमें किसी प्रकार का स्पन्दन नहीं हुआ | किन्तु पहली महिला की ममता जाग्रत हो गयी | वह बोली-“नहीं, नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी | आप इस बच्चे के दो टुकडें न करें | इससे तो इसके प्राण पखेरू ही उड़ जायेंगे | यह सोचकर ही मेरा हृदय फटा जा रहा है | मुझे आपका न्याय नहीं चाहिए, यह बच्चा इसे ही दे दो, यह जीवित रहेगा, यही सोचकर मुझे अपार संतोष होगा |”

वह न्यायालय से बाहर जाने ही वाली थी कि सुलेमान ने उसे रोकते हुए कहा-“ठहरो!” वह रुक गयी |

सुलेमान बोला-“तुम ही सच कह रही थी, इस बालक की माता तुम्हीं हो | तुम्हारी ममता ने न्याय की आँखे खोल दीं | इस बच्चे पर तुम्हारा ही अधिकार है |” सुलेमान ने महिला के प्रति आदर व्यक्त किया | और फिर पहली महिला को उसका बच्चा मिल गया और दूसरी के मुख पर कालिमा सी छा गयी, वह किसी प्रकार का प्रतिवाद करने में असमर्थ थी |  अपना सा मुख लिए जाने वाली थी कि सुलेमान ने उसके अपराध के लिए उसे यथोचित दंड का विधान सूना दिया | पहली महिला बच्चा पाकर प्रसन्न वदन वहां से चली गयी |